पति का शव देख पत्नी ने भी छोड़ी दुनिया, बेटियों ने अर्थी को कंधा देकर एक ही चिता पर किया अंतिम संस्कार

नागौर-

राजस्थान के नागौर जिले की पंचायत समिति मूंडवा के गांव रूण में पति-पत्नी का एक साथ दुनिया छोड़कर चले जाना चर्चा का विषय बना हुआ है। अग्नि को साक्षी मानकर जीवनभर जीने मरने की शपथ लेने वाले पति-पत्नी एक ही दिन दुनिया से अलविदा हो गए। दोनों की अर्थी को इनकी दोनों बेटियों ने कंधा दिया और अंतिम संस्कार में मुखाग्नि दी।

श्वास की बीमारी थी

गांव रूण के बाबूलाल, रामबक्ष सेन, रामेश्वर गोलिया , दीपचंद सोनी ने बताया गांव रूण के शनिदेव मंदिर में पूजा पाठ करने वाले राणाराम सेन (78) को पहले नागौर और बाद में जोधपुर श्वास की बीमारी होने की वजह से ले जाया गया।पांच घंटे इलाज के बाद उनका निधन

पांच घंटे इलाज के बाद उनका निधन रविवार सुबह 4 बजे हो गया, जिन्हे 8 बजे गांव रूण में उनके घर पर लाया गया, जहां पर उनकी पत्नी भंवरी देवी (75) ने जैसे ही पति का मुंह देखा और वहीं पर प्राण त्याग दिए।

गाजे-बाजे के साथ मोक्ष धाम ले जाया गया

परिजन रतनलाल, खेमचंद सेन ने बताया रविवार को ही इनको गाजे-बाजे के साथ मोक्ष धाम ले जाया गया। इनके कोई पुत्र नहीं है। इसीलिए दोनों की बेटियों ने ही कंधा देकर चिता को मुखाग्नि दी।हर किसी को नसीब नहीं होता

वहीं, पंडित रामकिशोर दाधीच ने बताया शनिदेव मंदिर की सेवा करते हुए और अमावस्या के दिन मलमास में जोड़े के साथ चले जाना हर किसी को नसीब नहीं होता है। हिंदू संस्कृति में यह दिन बहुत ही उत्तम होता है। वहीं, पति-पत्नी की एक साथ अर्थी उठने से ग्रामीणों में भी शोक नजर आया।एक साथ अर्थी पर निकले

ग्रामीण फखरुद्दीन , राजेंद्र सरवा और बाबा नूर मोहम्मद ने बताया एक बुजुर्ग दंपत्ति की ऐसी अमर प्रेम कहानी का उदाहरण, जिसे लोग वर्षों तक याद रखेंगे। लोगों को याद रहेगा कि जिस आंगन में पति पत्नी एक साथ कदम रखते जीवन सफर की नई डगर पर चले थे, वहां जीवन की समाप्ति पर भी एक साथ अर्थी पर निकले। दोनों की चिता को एक साथ मुखाग्नि भी दी गई।