राजस्थानी भासा को राजस्थान की राज भाषा घोषित करै :- कोटा विश्वविद्यालय अध्यक्ष अजय पारेता

कोटा :-

राजस्थानी भाषा को प्रदेश की राजभाषा घोषित करै क्योंकी राजस्थानी भाषा राजस्थान की मातृभाषा है,राजस्थानी जिसे केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली, अमेरिका, नेपाल जैसे देशों ने मान्यता दे रखी है किंतु राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में इसे ना तो केंद्रीय मान्यता मिली है और ना ही राज्य भाषा की मान्यता मिली है, मान्यवर जी आप श्री जी के कुशल नेतृत्व में 25 अगस्त 2003 में राजस्थान विधानसभा से पक्ष एवं विपक्ष की सर्व-सहमति से राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता के लिए संकल्प प्रस्ताव पारित हुआ था,


किन्तु आज तक केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण इसे आठवीं अनुसूची में जगह नहीं मिली है, मान्यवर जी, वर्तमान विधानसभा के पक्ष एवं विपक्ष के 156 से अधिक विधायकों एवं मंत्री महोदयों ने 33 के 33 जिलों से आपको राजस्थानी भाषा को प्रदेश की राजभाषा बनाने के लिए अपने लैटर-पैड पर पत्र लिखकर आपको भेजे हैं। कईं राज्यों की मातृभाषाएं जो आठवीं अनुसूची में शामिल भी नही हैं किन्तु उन्हें वहां की राज्य सरकारों ने इन्हें राजभाषा का दर्जा प्रदान किया है। उदाहरण के तोर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भुपेश बघेल जी ने छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा बनाया है किन्तु छत्तीसगढ़ी अभी आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है। अतः आप दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुए इसी बजट- सत्र में राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा प्रदान करें, ताकि राजस्थान के युवाओं को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिले, इससे भाषा के आधार पर राजस्थान में बाहरी कोटा अपने आप तय हो जाएगा एवं केंद्र सरकार को भी राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु बाध्य होना पड़ेगा, हमें आदरणीय जननायक जी पर पूरा भरोसा एवं विश्वास है कि वह जन-भावनाओं की आकांक्षाओं का जरूर सम्मान करेंगे। इसी आशा और विश्वास के साथ।