भारत में उज्बेकिस्तान के दुर्लभ गिद्ध जैसलमेर पहुंचा

जैसलमेर:- विदेशों में कड़ाके की ठंड में हजारों पक्षी भारत में प्रवास करते हैं। जैसलमेर जिले के वन्य जीव क्षेत्रों में भी कई विदेशी पक्षी इन दिनों प्रवास कर रहे हैं, लेकिन वन्य जीव प्रेमियों को एक ऐसा दुर्लभ गिद्ध दिखाई दिया है जिसपर टैग लगा हुआ है। यह गिद्ध उज्बेकिस्तान से उड़कर जैसलमेर आया है और इस गिद्ध पर उज्बेकिस्तान में शोध चल रहा है। लंबी दूरी तय करके जैसलमेर पहुंचे इस दुर्लभ गिद्ध को देखकर पक्षी प्रेमी व वन्य जीव प्रेमी खुश हैं।

भारत पहुंचे दो गिद्ध आन्या और आर्य

पर्यावरण प्रेमी पार्थ जगानी ने बताया कि टैग लगे तीन गिद्ध उज्बेकिस्तान से उड़े थे, उनमें से दो गिद्धों के भारत में आने के समाचार हैं। भारत आए दो गिद्धों के नाम आन्या और आर्य है। जैसलमेर पहुंचे इजीप्शियन प्रजाति के दुर्लभ गिद्ध का नाम आर्य है। आन्या नामक गिद्ध ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के ऊपर से उड़ान भरकर फिलहाल जैसलमेर-बाड़मेर जिलों की सीमा पर शिव गांव के आसपास काफी दिनों से विचरण कर रहा है। वहीं दूसरा गिद्ध आर्य 1500 किलोमीटर की उड़ान अफगानिस्तान और पाकिस्तान के ऊपर से भरकर जैसलमेर की भादरिया राय ओरण में मृत पशुओं को फेंकने के स्थान पर समय बिताने पहुंचा है।

उज्बेकिस्तान में चल रहा गिद्धों पर शोध

पर्यावरण प्रेमी पार्थ जगानी ने बताया कि जैसलमेर में प्रवास पर पहुंचने वाले पक्षी कई देशों से लम्बी दूरी तय कर यहां के ओरणों व घास मैदानों में भोजन की तलाश में आते हैं, लेकिन ये पक्षी कितने दिनों में यह फासला और किन रास्तों से होकर यहां तक पहुंच पाते हैं और यहां से आगे किधर जाते हैं, इस विषय पर जानकारी कम ही उपलब्ध है। इन्हीं विषयों पर बुल्गारियन सोसायटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स के वैज्ञानिक व्लादिमीर डोब्रेव ने ओरिएंटल बर्ड क्लब और हॉक कन्जर्वेसी ट्रस्ट प्रोग्राम के साथ शोध शुरू किया है।

वैज्ञानिक व्लादिमीर डोब्रेव ने साल 2021 के सितंबर महीने में मध्य एशिया के उज्बेकिस्तान के किजिलकुम मरुस्थल में तीन इजिप्शियन गिद्धों को रेडियो टैग करके उनका अध्ययन शुरू किया था, जिसमें से दो गिद्ध हजारों किलोमीटर का फासला तय कर भारत पहुंचे हैं।

                                                

                                                                                  उज्बेकिस्तान में इन गिद्धों पर शोध चल रहा है

इन प्रवासी पक्षियों का आना जैसलमेर के घास मैदानों और ओरणों के अंतर्राष्ट्रीय महत्व को भी बताता है। शोध कर रहे वैज्ञानिक व्लादिमीर बताते हैं कि उज्बेकिस्तान में इन गिद्धों के केवल 135 जोड़े ही बचे हैं। सभी सर्दियों में दक्षिण दिशा की तरफ प्रवास कर जाते हैं। इस शोध से इन पक्षियों के प्रवास के रास्ते में आ रहे खतरों व कठिनाइयों की जानकारी मिलेगी और इन्हें संरक्षित करने में मदद भी मिलेगी।

Lalu Singh Sodha