रामलोगों को सद संगत के मार्ग से जोड़ने के लिए ही होली महोत्सव का शुभारंभ हुआ - गोविंदराम शास्त्री

भोपालगढ़ कस्बे के निकटवर्त्ती रामस्नेही संप्रदाय आचार्य पीठ रामधाम खेड़ापा होली मेलाफूल डोल महोत्सव का संवत 1810 से रामधाम खेड़ापा आदी संस्थापक आचार्य रामदास महाराज ने शुरू किया ।

होली महोत्सव के शुरू करने का मुख्य उद्देश्य यही रहा पूर्व कालान्तर में समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने हेतू समय समय पर महापुरुषों का अवतरण हुआ उसी कड़ी में  18वीं शताब्दी में आचार्य रामदास महाराज ने गुरू दीक्षा ग्रहण कर भजन साधना प्रारंभ की और लोगों को समाज व्यापत कुरीतियों, अंधविश्वास को दूर करने हेतू लोगों को सद मार्ग से जोड़ने के लिए रामनाम के माध्यम से प्रचार प्रसार करते थे उस समय में होली एक ऐसा त्योहार था जो महीनो भर चलता था अर्थात लंबे दिनों तक चलता था जिसमे लोग अधिक मात्रा में भाग लेते जिसमें अनशील गायन , नशा इत्यादि दूर व्यसनो का प्रचलन बहुत अत्यधिक व्याप्त था इसी होली पर्व पर लोगों को सद संगत से कैसे जोड़ा जाए उसकी लिए होली मेला महोत्सव का शुभारंभ हुआ जिससे लोग गलत संगत में नही जाकर सद मार्ग की तरफ अग्रसर हो उसी परम्परा का आज भी रामधाम खेड़ापा में धूम धाम से चलाई जाती हैं जिसमे रामस्नेही संप्रदाय के संतो के साथ सम्पूर्ण देश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं और सत्संग के मध्यम से समाज को संत महापुरुषों के बताएं मार्ग पर चलने के लिए भजन, प्रवचन के मध्यम जन जन की भावना संत मत के कैसे जोड़ा जाए उसकी तरफ़ प्रेरित किया जाता है।

Credit - Dinesh Gurjar