उप-राष्ट्रपति का पदावधि महाभियोग तथा क्या क्या कार्य और शक्तियां होती है

दिल्ली/ पप्पू कुमार दास :-

उप-राष्ट्रपति सीरीज के पहले भाग में हमने उनके निर्वाचन अहर्ताएं, शपथ और उनके पद की शर्तों के बारे में जाना। उपराष्ट्रपति सीरीज के दूसरे भाग में हम जानेंगे उपराष्ट्रपति की पदावधि, शक्तियां और कार्य एवम भारत तथा दूसरे राष्ट्र के राष्ट्रपतियों की तुलना करेंगे।

पदावधि एवं पद रिक्तता

उपराष्ट्रपति की पदावधि उसके पद ग्रहण करने से लेकर 5 वर्ष तक होता है। हालांकि वह अपनी पदावधि में किसी भी समय अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को दे सकता है। उसे अपने पद से पदावधि पूर्ण होने से पूर्व भी हटाया जा सकता है। उसे हटाने के लिए औपचारिक महाभियोग की आवश्यकता नहीं है। उसे राज्यसभा द्वारा बहुमत में पारित कर विशेष अधिकार द्वारा हटाया जा सकता है। (अर्ताथ सदन के तत्कालीन सदस्यों का बहुमत) और इसे लोकसभा की सहमति आवश्यक है। इसका अर्थ यह हुआ कि राज्यसभा में प्रभावी बहुमत से पारित होना चाहिए जबकि लोकसभा में सामान्य बहुमत से। उल्लेखनीय है कि भारत में प्रभावी बहुमत एक प्रकार का विशेष बहुमत है,उससे अलग कुछ भी नहीं। पुनः यह संकल्प केवल राज्यसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है ,लोकसभा में नहीं परंतु ऐसा कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सकता है जब तक 14 दिन का अग्रिम नोटिस ना दिया गया हो। ध्यान देने योग्य बात यह है कि संविधान में उसे हटाने हेतु कोई आधार नहीं है।

उपराष्ट्रपति अपनी 5 वर्ष की पदावधि के उपरांत भी पद पर बना रह सकता है जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न करें। वह उस पद पर पुनः निर्वाचन के योग्य भी होता है वह इस पद पर कितनी ही बार निर्वाचित हो सकते हैं।पद रिक्तता यानी किस स्थिति में उपराष्ट्रपति का पद खाली हो सकता है।

उपराष्ट्रपति का पद निम्नलिखित कारणों से रिक्त हो सकता है

1.उनकी 5 वर्षीय पर पदावधि की समाप्ति होने पर 

2.उनके द्वारा त्यागपत्र देने पर 3.उसे बर्खास्त करने पर 

4.उनकी मृत्यु पर 

5.अन्यथा उदाहरण के लिए यदि वह पद ग्रहण करने के अयोग्य हो अथवा उनका निर्वाचन अवैध घोषित हो।

जब पद रिक्त होने का कारण उसके कार्यकाल का समाप्त होना हो तब उस पद को भरने हेतु उसका कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व नया चुनाव हो जाना चाहिए।

यदि उसका पद उसकी मृत्यु, त्यागपत्र,निष्कासन अथवा अन्य किसी कारण से रिक्त होता है उस स्थिति में शीघ्रातिशीघ्र चुनाव कराने चाहिए। नया चुना गया उपराष्ट्रपति पद ग्रहण करने के 5 वर्ष तक अपने पद पर बना रहता है।

शक्तियां और कार्य:- उपराष्ट्रपति के कार्य दोहरे होते हैं 

1.वह राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करता है इस संदर्भ में उसकी शक्तियां और कार्य लोकसभा अध्यक्ष की भांति ही होते हैं। इस संबंध में वह अमेरिका के उपराष्ट्रपति के समान ही कार्य करता है वह भी सीनेट- अमेरिका के उच्च सदन का सभापति होता है। 

2.जब राष्ट्रपति का पद उनके त्यागपत्र, निष्कासन, मृत्यु या अन्य कारणों से रिक्त होता है तो वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य करता है। इसकी अवधी अधिकतम 6 महीने की होती है। इस अवधि में नए राष्ट्रपति का चुनाव हो जाता है।

 कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के दौरान उप राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करता है इस अवधि में उनके कार्यों का निर्वाह उप-सभापति द्वारा किया जाता है। उपराष्ट्रपति जब किसी अवधि में राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है तो वह राज्यसभा के सभापति को मिलने वाला वेतन नहीं पाता है। अपितु उसे राष्ट्रपति को प्राप्त होने वाले वेतन व भत्ते मिलते हैं।

भारत एवं अमेरिकी उप राष्ट्रपतियों की तुलना यद्यपि भारत के उपराष्ट्रपति का पद अमेरिका के उपराष्ट्रपति के मॉडल पर आधारित हैं परंतु इनमें काफी भिन्नता है अमेरिका का उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर अपने पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल की शेष अवधि तक उस पर उस पद पर बनारस सकता है दूसरी ओर भारत का उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल तक उस पद पर नहीं रह सकता है वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है