क्या प्रधानमंत्री की गाड़ी 15-20 मिनट खुले आसमान में खड़े रहना छोटी घटना हैं? मामले में पंजाब सरकार की जवाबदेही तय होना जरूरी हैं या नहीं

क्या प्रधानमंत्री की गाड़ी 15-20 मिनट खुले आसमान में खड़े रहना छोटी घटना हैं? मामले में पंजाब सरकार की जवाबदेही तय होना जरूरी हैं या नहीं?


प्रधानमंत्री का काफिला रुकना अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की घटना भी हो सकती है-सुप्रीम कोर्ट


गृह मंत्रालय ने पंजाब के डीजीपी सहित 13 अधिकारियों को तलब किया।

दिल्ली/चंडीगढ़

5 जनवरी को पंजाब के फिरोजपुर के फ्लाईओवर पर जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके काफिले के सामने हालात उत्पन्न हुए वे देश की सुरक्षा के लिए गंभीर बात है। चूंकि पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए कांग्रेस अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। सीएम चन्नी 5 जनवरी की घटना को लेकर अब जो बयान दे रहे हैं वे बचकाने है। यदि फिरोजपुर की रैली में लोग नहीं आए और कुर्सियां खाली थी तो चन्नी सरकार का यही प्रयास होना चाहिए था कि पीएम मोदी वहां पहुंचे। ताकि उनके समक्ष असहज स्थिति होती। यदि 70 हजार कुर्सियों पर 780 लोग होते तो पीएम मोदी की छवि ज्यादा खराब होती। जब तीनों कृषि कानून संसद में रद्द हो गए है, तब कौन से किसान मोदी का विरोध कर रहे हैं? 5 जनवरी को पीएम के साथ घटित घटना के बाद सोशल मीडिया पर देशद्रोह वाले वीडियो वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में कहा जा रहा है कि विरोध का मकसद खालिस्तान बनाना है। ऐसे वीडियो में यह भी कहा जा रहा है कि वोट के माध्यम से भी आजाद पंजाब की स्थिति को मजबूत किया जाएगा। सवाल उठता है कि पंजाब में यदि खालिस्तान समर्थक मजबूत होते हैं तो क्या कांग्रेस को फायदा होगा? सब जानते हैं कि 80 के दशक में खालिस्तान समर्थकों को सबसे पहले किस राजनीतिक दल ने संरक्षण दिया था और यह भी सबको पता है कि  पंजाब की वजह से ही श्रीमती इंदिरा गांधी को अपनी जान गवानी पड़ी थी। क्या कांग्रेस पंजाब को 80 के दशक वाला बनाना चाहती है? कुछ नहीं कहा जा सकता कि चन्नी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार कितने दिन रहेगी, लेकिन कांग्रेस सरकार के अंतिम दिनों में यदि पंजाब में हालात बिगड़ते हैं तो फिर नियंत्रण में लाना बहुत मुश्किल होगा। अच्छा हो कि पंजाब में अलगाववादियों के खिलाफ चन्नी सरकार केंद्र के साथ मिल कर काम करे। सीएम चन्नी और कांग्रेस को इस बात से खुश नहीं होना चाहिए कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने देश के प्रधानमंत्री को रैली स्थल पर नहीं जाने दिया। आज प्रधानमंत्री के जीवन को खतरे में डाला गया, हो सकता है कि यही स्थिति मुख्यमंत्री चन्नी के समक्ष भी उत्पन्न हो जाए। 

मामले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी :

5 जनवरी की घटना को लेकर 7 जनवरी को एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने  भी फिरोजपुर के फ्लाईओवर पर प्रधानमंत्री के काफिले के रुकने को बहुत गंभीर माना। कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ कानून व्यवस्था का मामला ही नहीं है। कोर्ट ने आशंका जताई की यह अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की घटना हो सकती है। कोर्ट ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्टार को घटना से जुड़े रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए। साथ ही पंजाब पुलिस को केंद्रीय जांच एजेंसियों को सहयोग करने के निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पंजाब सरकार ने जो जांच कमेटी गठित की है उसमें प्रदेश के गृह सचिव को भी शामिल किया गया है, जबकि गृह सचिव तो खुद शक के घेरे में हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार की जांच कमेटी पर रोक लगाते हुए 10 जनवरी को अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की है। 

गृहमंत्रालय द्वारा 13 अधिकारी तलब:

पीएम के काफिले को रुकने के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब पुलिस के डीजीपी सहित 13 अधिकारियों को मंत्रालय में तलब किया है। जानकार सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री की फिरोजपुर रैली के मद्देनजर एसपीजी ने एक नोट पंजाब के डीजीपी और मुख्य सचिव को भेजा था। इस नोट के आधार पर ही पंजाब के एडीजी ने सुरक्षा के दिशा निर्देश जारी किए थे। एसपीजी के नोट में उन संगठनों के नाम भी दिए गए जिनके संबंध पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई से हैं। नोट में आशंका जताई गई थी कि ऐसे संगठन आईएसआई के इशारे पर विरोध प्रदर्शन या अन्य कोई घटना कर सकते हैं।