ट्यूबरक्यूलोसिस – कारण लक्षण निदान उपचार

ट्यूबरक्यूलोसिस (Tuberculosis) टीबी जिसे आम बोलचाल की भाषा में क्षय रोग या तपेदिक भी कहा जाता है एक संक्रामक बीमारी है। टीबी मुख्य तौर पर फेफड़ों को प्रभावित करती है लेकिन यह शरीर के अन्य अंग जैसे दिमाग, रीढ़, आंत, किडनी को भी प्रभावित कर सकती है।
आपको टीबी के बारे में जानना क्यों जरूरी है?
संक्रामक रोगों की वजह से होने मौतों का सबसे बड़ा कारण टीबी है । टीबी से ग्रसित 50 प्रतिशत से अधिक लोग सिर्फ भारत , इंडोनेशिया , चीन ,फिलिपींस और पाकिस्तान में है । भारत एक विकासशील देश है जिसकी अधिकतर आबादी भीड़ भाड़ वाले इलाकों में रहती है और जहां टीबी के फैलने का खतरा सबसे अधिक होता है । इंडिया टीबी रिपोर्ट 2022 के आंकड़ों के अनुसार साल 2021 में टीबी रोगियों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में 19% की वृद्धि देखी गई जो कि एक चिंता का विषय है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World health organisation) के ताजा आंकड़ों के अनुसार विश्व में प्रतिदिन करीब 4100 से ज्यादा लोग टीबी की वजह से अपनी जान गंवा देते है।
कारण–
माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु, टीबी रोग का कारण है।
टीबी का जीवाणु टीबी से ग्रसित व्यक्ति के खांसने, छींकने से निकलने वाली बूंदों से फैलता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता है , छींकता है तो जीवाणु हवा में फैल जाता है और स्वस्थ व्यक्तियों में संक्रमण फैला सकता है ।
टीबी के लिए जोखिम कारक–
वह व्यक्ति जिसका प्रतिरक्षा तंत्र (Immune system) बहुत कमजोर है उनमें टीबी होने का खतरा अधिक रहता है।
जोखिम कारक–
एचआईवी एड्स
डायबिटीज
कैंसर
अंग प्रत्यारोपण (Organ transplant) के बाद
कुपोषण (Malnutrition)
किडनी की बीमारी
धूम्रपान
शराब का अत्यधिक मात्रा में सेवन करना
टीबी के लक्षण–
•खांसी–तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी आना।
खांसी के साथ बलगम या खून का आना
• भूख कम लगना
• वजन कम होना
•रात को पसीना आना
• बुखार होना–मुख्य तौर पर शाम के समय शरीर के तापमान में वृद्धि होना
•सांस लेने में तकलीफ होना
•श्वास लेते समय छाती में दर्द होना
• थकान
•ठंड लगना
निदान–
यदि ऊपर लिखित लक्षण आपको दिखाई दे तो सबसे पहले सावधानी बरतते हुए डॉक्टर से परामर्श ले और उचित जांच करवाए।
डॉक्टर आपके लक्षणों को ध्यान रखते हुए निम्नलिखित जांचे करवा सकते है
•मैनटॉक्स ट्यूबरकुलिन स्किन टेस्ट
• बलगम परीक्षण (sputum test)
• छाती का एक्स रे (chest x–ray) , सीटी स्कैन
• इंटरफेरॉन गामा रिलीज ऐसे (IGRA)
• CBNAAT (Cartridge Based Nucleic Acid Amplification Test) जिसे जीनक्सपर्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह टेस्ट सभी टीबी केंद्रों पर भारत सरकार द्वारा बिल्कुल मुफ्त में किया जाता है।
इलाज–
हमेशा ध्यान रखे टीबी एक लाइलाज बीमारी नहीं है। टीबी का इलाज भारत सरकार द्वारा बिल्कुल फ्री में किया जाता है। इसके लिए DOTS (Directly observed treatment, short-course) स्ट्रेटजी अपनाई गई है जिसमे मरीज के निदान से लेकर इलाज तक पूरा ध्यान रखा जाता है।
टीबी के इलाज को कभी भी बीच में नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि इससे जीवाणु दवाइयों के खिलाफ प्रतिरोधकता विकसित कर लेते है।
रोकथाम और नियंत्रण –
याद रखे टीबी एक लाइलाज बीमारी नहीं है, इसका इलाज पूरी तरह से मुमकिन है।
• अपने बच्चो को बीसीजी (BCG) का टीका डॉक्टर की सलाह से जरूर लगवाए।
•दवा हमेशा समय पर ले और चिकित्सक के निर्देशों का पालन करे।
• टीबी से संक्रमित व्यक्ति को कभी खुलने में नहीं थूकना चाहिए।
•टीबी से संक्रमित व्यक्ति को खांसते समय अपना मुंह हमेशा मास्क रुमाल या अन्य कपड़े से ढकना चाहिए।
•टीबी से संक्रमित व्यक्ति को अधिक भीड़ भाड़ वाली जगह पर जाने से बचना चाहिए ताकि संक्रमण का खतरा कम से कम हो।
•किसी भी अन्य व्यक्ति के साथ अपनी दवाइया साझा ना करे।
•टीबी के ऊपर लिखित लक्षण दिखाई दे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करे और जांच अवश्य करवाए, याद रखे जितना जल्दी निदान होगा उतना ही जल्दी इलाज होगा। घबराए नहीं टीबी का इलाज मुमकिन है।
•शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करे। ताजा फल, हरी सब्जियाँ , कार्बोहाइड्रेट–प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करे।
• टीबी का पूर्ण इलाज ही, टीबी से बचाव का सबसे बड़ा साधन है।
• अन्य लोगों को भी टीबी के बारे में जागरूक करे।
टीबी पर काबू जनसहयोग से ही पाया जा सकता है इसलिए एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते अधिक से अधिक लोगों को टीबी के बारे में जागरूक करे।
✍️ मनोज कुमार जाट