राजस्थान जयपुर की सांभर लेक प्रकृति का अनमोल वरदान है सांभर झील

राजस्थान जयपुर की सांभर लेक प्रकृति का अनमोल वरदान है सांभर झील

यहाँ बना नमक अपने आप मे संपूर्ण शुद्ध है

और मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त है

सांंभर की समराय माता शाकंभर राजरानी ने

नमक के रूप में सांंभर को अतुलित संपदा दी है

जोधपुर स्टेट गजेटियर के अनुसार 19 वीं शताब्दी में

नमक और चांदी की कीमतों के बीच अधिक अंतर नहीं था

नमक 1.91 रुपये प्रति मण था, तो चांदी का भाव

1.97 रुपये प्रति मण था

सदियों तक सांंभर वैभवशाली रहा है

इतना कि मराठों ने सांंभर को बहुत बार लूटा है

सन 1831 मे ईस्ट इंडिया कंपनी ने 

जोधपुर और जयपुर स्टेट से सांंभर झील कब्जे में

ले ली थी उसके बाद कोलकाता के बाद सांंभर

देश में दूसरा बड़ा बिजनेस सेंटर हो गया था

इसके पहले पाली मारवाड़ राजपूताने मे कारोबार का

बड़ा केंद्र था

लेकिन ब्रिटिश राज में ईस्ट इंडिया कंपनी ने सांंभर को

दूसरा बड़ा कारोबारी केंद्र बना दिया था.

दादूद्वारे से खटीकों की हथाई के बीच जो बड़ा बाजार है

वह कोलकाता के बड़ा बाजार की तर्ज पर विकसित किया हुआ था और यहाँ बजाजी (कपड़ो) का बड़ा कारोबार होता था..

ईरान तक से कारोबारी सांंभर आते थे और यहाँ की बजाजी से कपड़े खरीद कर ले जाते थे

नमक के 600 दलालों की गद्दियों से 

धानमंडी, गोला बाजार और कटला बाजार

रोशन रहते थे

राजस्थान की पहली स्टेट बैंक और सेंट्रल बैंक

सांंभर मे ही खुली थी..

राजस्थान में बिजली का पहला पावरहाउस

सांंभर मे ही बना था

समय का चक्र है.. लेकिन शाकंभर राजरानी पर

भरोसा है कि मां फिर से सांंभर को

वैभवशाली बनायेगी.।

यहाँ बना नमक अपने आप मे संपूर्ण शुद्ध है

और मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त है

सांंभर की समराय माता शाकंभर राजरानी ने

नमक के रूप में सांंभर को अतुलित संपदा दी है

जोधपुर स्टेट गजेटियर के अनुसार 19 वीं शताब्दी में

नमक और चांदी की कीमतों के बीच अधिक अंतर नहीं था

नमक 1.91 रुपये प्रति मण था, तो चांदी का भाव

1.97 रुपये प्रति मण था

सदियों तक सांंभर वैभवशाली रहा है

इतना कि मराठों ने सांंभर को बहुत बार लूटा है

सन 1831 मे ईस्ट इंडिया कंपनी ने 

जोधपुर और जयपुर स्टेट से सांंभर झील कब्जे में

ले ली थी

उसके बाद कोलकाता के बाद सांंभर

देश में दूसरा बड़ा बिजनेस सेंटर हो गया था..

इसके पहले पाली मारवाड़ राजपूताने मे कारोबार का

बड़ा केंद्र था

लेकिन ब्रिटिश राज में ईस्ट इंडिया कंपनी ने सांंभर को

दूसरा बड़ा कारोबारी केंद्र बना दिया था

दादूद्वारे से खटीकों की हथाई के बीच जो बड़ा बाजार है

वह कोलकाता के बड़ा बाजार की तर्ज पर विकसित किया हुआ था और यहाँ बजाजी (कपड़ो) का बड़ा कारोबार होता था

ईरान तक से कारोबारी सांंभर आते थे और यहाँ की बजाजी से कपड़े खरीद कर ले जाते थे

नमक के 600 दलालों की गद्दियों से 

धानमंडी, गोला बाजार और कटला बाजार

रोशन रहते थे

राजस्थान की पहली स्टेट बैंक और सेंट्रल बैंक

सांंभर मे ही खुली थी

राजस्थान में बिजली का पहला पावरहाउस

सांंभर मे ही बना था

समय का चक्र है लेकिन शाकंभर राजरानी पर

भरोसा है कि मां फिर से सांंभर को

वैभवशाली बनायेगी

Credit - Dinesh Veer Gurjar