राजा बलि को यह अभिमान था कि उसके बराबर इस संसार में कोई नहीं - भागवताचार्य पवन चतुर्वेदी

सतना जिला में स्थित श्री धाम आश्रम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में प्रह्लाद चरित्र, वामन अवतार कथा का प्रसंग सुनकर श्रोता भावविभोर हो उठे। भोपाल से पधारे भागवताचार्य श्री पवन चतुर्वेदी जी महाराज ने संगीतमयी कथा सुनाकर श्रोताओं को आनंदित किया।कथावाचक आचार्य चतुर्वेदी जी ने कहा कि जीवन में ऐसे मोड़ आते हैं, जिसका हमें अंदेशा भी नहीं होता है। हमें हर बुराई से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य रूप में जन्म लेना सबसे बड़ी उपलब्धि है। वामन अवतार की कथा सुनाते हुए आचार्य जी ने कहा कि राजा बलि को यह अभिमान था कि उसके बराबर इस संसार में कोई नहीं है। भगवान ने राजा बलि का अभिमान चूर करने के लिए वामन का रूप धारण किया और भिक्षा मांगने राजा बलि के पास पहुंच गए। अभिमान से चूर राजा ने वामन को उसकी इच्छानुसार दक्षिणा देने का वचन दिया। वामन रूपी भगवान ने राजा से दान में तीन पग भूमि मांगी। राजा वामन का छोटा स्वरूप देख हंसा और तीन पग धरती नापने को कहा। इसके बाद भगवान ने विराट रूप धारण कर एक पग में धरती आकाश दूसरे पग में पाताल नाप लिया और राजा से अपना तीसरा पग रखने के लिए स्थान मांगा। प्रभु का विराट रूप देख राजा का घमंड टूट गया और वह दोनों हाथ जोड़कर प्रभु के आगे नतमस्तक होकर बैठ गया और तीसरा पग अपने सर पर रखने की प्रार्थना की। इस दौरान भगवान प्रहलाद की कथा भी सुनाई गई।कथा के अंत में आरती की गई और प्रसाद वितरण किया गया।