साहित्य - सृजन ही मेरे जीवन का आधार - प्रोफेसर सत्यनारायण

जोधपुर  ।  मैं अपने जीवन में अकेला होने के बावजूद कभी अकेला नहीं रहा क्योंकि साहित्य-सृजन ही मेरे जीवन का आधार बन गया । असल में साहित्य की ट्रेन जा रही थी और मैं लटक गया।  उच्च शिक्षा के दरम्यान घटी एक प्रेम घटना को दुर्घटना कहकर अपने साहित्यिक  संवाद में ख्यातनाम कवि कथाकार प्रोफेसर (डाॅ.) सत्यनारायण ने कहा कि हम सब के भीतर एक देवदास होता है, मुझ मैं भी है क्योकि अगर वह न होती तो आज मैं साहित्यकार नहीं होता। रम्मत संस्थान की ओर से होटल चन्द्रा इन में आयोजित संवाद कार्यक्रम में कवि डाॅ.सत्यनारायण ने हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित कवि विनोद पदरज से बातचीत करते हुए अपने जीवन के अनेक रहस्य उदघाटित किये। उन्होंने अपने बचपन से लेकर आज तक की जीवन यात्रा पर विस्तार से विचार रखे।  जीवन में अपने मन में जो विचार आते है उन्हें अवश्य लिखना चाहिए क्योंकि थोपे हुए विचार से कभी भी कोई व्यक्ति रचनाकार नहीं बन सकता ।  संवाद के दरम्यान ख्यातनाम रचनाकार मुंशी प्रेमचंद, अज्ञेय, निर्मल वर्मा, शैलेश मटियानी, भुवनेश्वर की साहित्य साधना का जिक्र करते हुए अपने जीवन एवं रचना यात्रा के अनेक प्रसंग सुनाये। इस अवसर पर डाॅ. सत्यनारायण ने अपने साहित्यिक मित्रो रघुनन्दन त्रिवेदी, मणिमधुकर, संजीव मिश्र, लवलीन, हसन जमाल, हब्बीब कैफी, तथा कृष्ण कल्पित के साथ बिताये संघर्ष एवं उनके स्नेह को उजागर किया।



 संस्थान के सचिव ने बताया कि इस अवसर पर डाॅ. सत्यनारायण ने अपनी कविताएं, डायरी अंश एवं रिपोर्ताज के अंश सुनाकर सबको अभिभूत किया।  कार्यक्रम में डाॅ.सत्यनारायण रचित पुस्तकों की एक शानदार प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसे सभी लोगों ने खूब सराहा । कार्यक्रम के प्रारम्भ में ख्यातनाम कवि-आलोचक प्रोफेसर (डाॅ.) अर्जुनदेव चारण ने स्वागत उदबोधन के साथ साहित्यिक संवाद का विस्तार से विवेचन करते हुए संवाद का महत्व उजागर किया।  रम्मत संस्थान के सचिव दीपक भटनागर ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत सत्कार किया।  



इस अवसर पर ख्यातनाम साहित्यकार डाॅ. अर्जुनदेव चारण, पद्मजा शर्मा, डाॅ. सोहनदान चारण, डाॅ. कौशलनाथ उपाध्याय,  पूर्व कुलपति डाॅ. गंगा राम जाखड़, दीप्ती कुलश्रेष्ठ, डाॅ. के.एल. रैगर, कैलाश कबीर, डाॅ.एस.के. मीणा, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत कवि मीठेश निर्मोही, डाॅ. गजेसिंह राजपुरोहित, दिनेश सिंदल, कमलेश तिवारी, अनिल अनवर , श्याम गुप्ता, हरि प्रकाश राठी, माधव राठौड़, डाॅ. फतेहसिंह भाटी, राकेश मुथा, डाॅ.महेन्द्रसिंह तंवर, हिंदू सिंह सोढा , हेमलता खत्री, संतोष चौधरी, मधुर परिहार, शालिनी गोयल, वीणा चूंडावत, रेणू वर्मा, हर्षवर्धन सिंह, मोहनसिंह रतनूं , डाॅ. कुलदीप सिंह मीणा, डॉ फत्ताराम नायक, डाॅ. राजपाल सिंह शेखावत, गौतम, रामकिशोर फिड़ोदा, आशीष चारण, डाॅ.कप्तान बोरावड़, डाॅ.जितेन्द्र सिंह साठिका, डाॅ.अमित गहलोत सहित अनेक साहित्यकार, भाषा प्रेमी तथा शोध छात्र मौजूद रहे।