डॉ. योगेन्द्र पुरोहित को दुबई में इस्ट एशिया बिज़नेस ऑइकन ऑवार्ड से सम्मान

दिल्ली :-

व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित 

इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति में अपना अलग मुकाम हासिल करने वाले डॉ.योगेन्द्र पुरोहित को दुबई में इस्ट एशिया ऑइकन आवार्ड से सम्मानित किया गया है । नागौर जिले के परबतसर तहसील के छोटे से गांव कुण्डरी में मध्यमवर्गीय परिवार मे  जन्मे डॉ. योगेन्द्र पुरोहित शरीर के ऑर्गन को डीटॉक्स करके जटिल रोगों का उपचार करते है । एंव इनके सराहनीय कार्य एवं अनुसंधान को देखते हुये दुबई एंव अबूधाबी शेख़ ने दुबई सिटी में 16 से 22 तक चले इस्ट एशिया बिज़नेस ऑइकन में सम्मानित किया। इस सम्मान से डॉ. पुरोहित के परिवार, मित्र, गाँव वालियों में ख़ुशी है एंव डॉ. पुरोहित को बधाई दे रहे है । डॉ. पुरोहित अमेरिका, दुबई, उत्तर कोरिया, दुबई, थाइलैंड, श्रीलंका, फिलीपिंस सहित कईं देशों में मरीज को दवा भेजकर इलाज कर रहे हैं।


क्या है इलैक्ट्रोपैथी ?


इलैक्ट्रोपैथी को इलैक्ट्रोहोम्योपैथी भी कहते है ।


यू समझे इलाक्ट्रोपैथी को


इलेक्ट्रोहोम्योपैथी तीन शब्दों को समुच्य है

इलेक्ट्रो होम्यो पैथी 

इलेक्ट्रो :– मनुष्य शरीर एवं वनस्पति में भगवान के द्वारा दी हुई दो शक्तियां होती है पहली ऋणात्मक वह दूसरी धनात्मक इन्हें शरीर की इलेक्ट्रिसिटी कहते हैं यह धनात्मक/ positive एवं ऋणआत्मक /negative शक्तियां जब शरीर में समान होती है तो वह स्वास्थ्य /healthy अवस्था कहलाती हैं। इन शक्तियों अर्थात इलेक्ट्रिसिटी की शरीर में असमानता रोग/ diseases कहलाती है। अर्थात इलेक्ट्रिसिटी के लिए ही यहां इलेक्ट्रो शब्द लिया गया है ना कि कोई करंट से संबंध है।|


होमियो :– यह एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है समानता अर्थात किसी असमानता को समानता में बदलना। क्योंकि इस चिकित्सा पद्धति में शारीरिक इलेक्ट्रिसिटी की असमानता/रोग/disease को पौधों की इलेक्ट्रिसिटी से समानता/स्वस्थता/health में बदला जाता है इस लिए यहां होमियो शब्द प्रयोग में लिया गया है। अर्थात होमियो शब्द का यहां पर होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से कोई संबंध नहीं है।


पैथी :- इसका अर्थ है कोई चिकित्सा पद्धति या चिकित्सा साइंस। कुल मिलाकर इलेक्ट्रोपैथी वह वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है जो हमें पेड़ पौधों की इलेक्ट्रिसिटी से मनुष्य शरीर की असमान इलेक्ट्रिसिटी/disease को समान/healthy/cure करना सिखाती है।


शरीर के अंदुरूनी ऑर्गन को डीटॉक्स करने की देते हैं सलाह

डॉ. पुरोहित की मानें तो बढ़ता हुआ प्रदूषण, पैरासाइट और बिगड़ी हुई लाईफ़ स्टाइल ही सभी रोगों की जड़ है इनके चलते शरीर में टॉक्सिंस जमा हो जाते हैं जिनकी वजह से शरीर के अंदुरूनी  ऑर्गन सही ढंग से काम नहीं कर पाता और इस अवस्था को रोग की अवस्था मान लेते है। अगर इन टॉक्सिंस को इलैक्ट्रोपैथी औषधियों से शरीर से बाहर कर दिया जाये तो शरीर स्वतः ही स्वस्थ हो जायेगा और ज़िंदगी भर निरोगी रहेगा । डॉ. पुरोहित का मानना है कि जैसे रोज़ाना की दिनचर्या में मुँह और दांतों को स्वस्थ रखने के लिये सफ़ाई ( डीटॉक्स ) की आवश्यकता होती है वैसे ही लिवर, किडनी, हार्ट, पैन्क्रियाज, आँत, फेफड़े आदी ऑर्गन को भी डीटॉक्स की आवश्यकता पड़ती है । अगर इन ऑर्गन को समय समय पर डीटॉक्स कर लिया जाये तो शरीर हार्टअटेक, शुगर, चर्मरोग, लखवा, ब्रेन हेमरेज, अस्थमा, एलर्जी जैसे असाध्य रोगों से बच सकते है ।

लेकिन हम भागदौड़ की ज़िंदगी में इन सभी डीटॉक्स प्रकिया को भूलते गये और मोर्डन सांइस की दवाऔ के सारे जिवन व्यापन करने लग गये। जिसका परिणाम यह है कि कम उम्र में ही युवाओं को हार्ट अटैक, लखवा जैसी समस्या हो रही है