COP28 समिट: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 28 देशों के नेताओं का सम्मेलन
COP28 शिखर सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP) का 28वां संस्करण है। यह सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर, 2023 तक संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी दुबई में आयोजित किया जा रहा है। COP सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है और इसका उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने और जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रभावों के अनुकूल नीतियों पर सहमत होना है।
COP28 शिखर सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP) का 28वां संस्करण है। यह सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर, 2023 तक संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी दुबई में आयोजित किया जा रहा है।
COP सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है और इसका उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने और जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रभावों के अनुकूल नीतियों पर सहमत होना है।
COP28 शिखर सम्मेलन क्यों आयोजित किया जा रहा है?
COP28 शिखर सम्मेलन जलवायु परिवर्तन को 1.5 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग तक सीमित करने के पेरिस समझौते के लक्ष्य की दिशा में देशों की प्रगति का पहला औपचारिक मूल्यांकन होगा।
इस सम्मेलन में देशों को यह देखने का अवसर मिलेगा कि वे पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कितनी प्रगति कर रहे हैं और उन्हें आगे क्या करने की आवश्यकता है।
सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कौन कर रहा है?
गुरुवार को COP-28 शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भारत की ओर से केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने हिस्सा लिया। शुक्रवार को वर्ल्ड क्लाइमेट एक्शन समिट COP28 की उच्च स्तरीय बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
सम्मेलन किन चुनौतियों को संबोधित करने पर केंद्रित होगा?
COP28 शिखर सम्मेलन में निम्नलिखित चुनौतियों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:
- वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग तक सीमित करना
- जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रभावों के अनुकूल नीतियों को लागू करना
- विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायता प्रदान करना
क्या पीएम मोदी कोई ऐलान कर सकते हैं?
यह संभव है कि पीएम मोदी COP28 शिखर सम्मेलन में कोई महत्वपूर्ण ऐलान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, वे भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को बढ़ाने की घोषणा कर सकते हैं।
यह भी संभव है कि पीएम मोदी लॉस एंड डैमेज फंड में भारत के योगदान को बढ़ाने की घोषणा कर सकते हैं। लॉस एंड डैमेज फंड एक राहत पैकेज है, जो अमीर देश जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील विकासशील देशों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए देते हैं।